कार्तिक मास में 20 नवंबर को निकलेगी महाकाल की पहली सवारी

कार्तिक-अगहन मास में 20 नवंबर को भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलेगी। राजाधिराज महाकाल रजत पालकी में सवार होकर तीर्थपूजन के लिए शिप्रा तट जाएंगे। शाम चार बजे शाही ठाठबाट के साथ अवंतिकानाथ की सवारी निकलेगी।

बता दें इस बार कार्तिक अगहन मास में भगवान महाकाल की पांच सवारी निकलेगी। पं. महेश पुजारी ने बताया कार्तिक मास में तीर्थपूजन का विशेष महत्व है। भगवान महाकाल उज्जैन के राजा हैं, इसलिए वे भी तीर्थपूजा के लिए शिप्रा तट जाते हैं। इसलिए श्रावण-भादौ मास की तरह कार्तिक-अगहन मास में भी भगवान महाकाल की सवारी निकालने की परंपरा है।

25 नवंबर को हरि-हर का मिलन

इस बार 20 नवंबर को कार्तिक-अगहन मास की पहली सवारी निकलेगी। 25 नवंबर को कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी पर रात 11 बजे हरि-हर मिलन की सवारी निकाली जाएगी। भगवान महाकाल परंपरा अनुसार चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर जाएंगे। यहां मध्य रात्रि में 12 बजे हरि हर मिलन होगा।

पूजा-अर्चना के उपरांत रात दो बजे महाकाल की सवारी पुन: महाकाल मंदिर लौटेगी। 27 नवंबर सोमवार को कार्तिक अगहन मास की तीसरी, 4 दिसंबर सोमवार को चौथी तथा 11 दिसंबर सोमवार को शाही सवारी निकलेगी।

गणगौर दरवाजा से नगर प्रवेश करेगी सवारी

कार्तिक-अगहन मास में सवारी मार्ग में परिवर्तन होगा। महाकाल मंदिर से शुरू होकर सवारी कोटमोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए शिप्रा तट पहुंचेगी। यहां पूजा-अर्चना के उपरांत सवारी शिप्रा के किनारे राणौजी की छत्री घाट से होते हुए शिप्रा के छोटे पुल के पास से होकर गणगौर दरवाजा से नगर प्रवेश करेगी। इसके बाद कार्तिक चौक, ढाबा रोड, गोपाल मंदिर, छत्रीचौक, पटनी बाजार होते हुए शाम करीब सात बजे पुन: मंदिर पहुंचेगी।

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